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घर से दूर / आत्मा रंजन
Kavita Kosh से
सुबह शाम की चिक चिक
घर के तमाम झमेलों से
निजात पाने को
मन भरता है उड़ान
घर से जितनी दूर
निकल आते हैं हम
उतना ही याद आता है घर।