घर से बाहर भइल हे, पहिरे कुसुम सारी हे / भोजपुरी
घर से बाहर भइल हे, पहिरे कुसुम सारी हे, चली भइली सागर असनाने;
अब अलि हे, सुन्नर हे, चली भइली सागर असनाने।।१।।
कि ओही कुर जोगिया, जोग अइसन जोग करे कि एही कुर गोरिया नहाय;
कि अब अलि हे, सुन्नर हे, एही कुर गोरिया नहाय।।२।।
गोरिया के अँचरा उलटि-पलटि गइले, कि जोगिया गिरेले मुरुछाय;
अब अलि हे, सुन्नर हे, जोगिया गिरेले मुरुछाय।।३।।
कि किया तोरे जोगिया जाड़-जूड़ी भइले, कि किया तोरे बथेले कपार;
अब रे सदा शिव हे, किया तोरे बथेले कपार।।४।।
नाहीं मोरे गोरिया जाड़-जूड़ी भइले, नाहीं मोरा बथेले कपार;
कि अब अलि हे, सुन्नर हे, नाहीं मोरा बथेले कपार।।५।।
किया तूहूँ गोरिया सँचवा के ढ़ारल, कि किया तोही गढ़ले सोनार;
अब अलि हे, सुन्नर हे, किया तोहे गढ़ले सोनार।।६।।
नाहीं हम जोगिया सँचवा के ढ़ारल, नाहीं रूपे गढ़ले सोनार;
बाप जाँघ जनमीले, माई छीर पीअलीं, कि सुरुखी दिहले भगवान;
कि अब अलि हे, सुन्नर हे, सुरुखी दिहले भगवान।।७।।