भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर -१ / नवनीत शर्मा
Kavita Kosh से
भेजते रहना
पिछवाड़े वाले हरसिंगार जितनी हँसी
घराल के साथ वाले अमरूद की चमक
दुनिया चाहती है तरह-तरह के सवाल रखना
शरारतों के बाद
मेरे छुपने के ठिकानों
अपना ख्याल रखना.