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घर / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
स्त्रिस्टी रौ
पैलौ घर
मां री कूंख
दूजौ
खोळौ
छेहलौ
मसांण
आं तीनां सूं
कटियोड़ा
अपां भटकां
आखी उमर
धरती आभै रौ आंतरै
ऊभा करां
ऊंचा ऊंचा भाखर
आप आप रै
माप रा