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घर / सरोज परमार
Kavita Kosh से
चौखट,दीवारें, छत
छत पर छत,
काठ कबाड़
हास विलास,दूबिया घास
काग़ज़ी फूल,कँटीले कैक्टस
एक अदद गुर्राता कुत्ता
-(मनफ़ी) ख़ुलूस, चाहत,सहजता
ही आज घर हो गया है।