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घाव पाकी त फुटबे करी / मनोज भावुक

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घाव पाकी त फुटबे करी
दर्द छाती में उठबे करी

बिख भरल बात लगबे करी
शूल आँतर में चुभबे करी

खीस कब ले रखी आँत में
एक दिन ऊ ढकचबे करी

जब शनिचरा कपारे चढ़ी
यार, पारा त चढ़बे करी

दोस्ती जहँवाँ बाटे उहाँ
कुछ शिकायत त रहबे करी

राह कहिये से देखत बा जे
ऊ त रह-रह चिहुकबे करी

बाटे नादान 'भावुक' अभी
राह में गिरबे-उठबे करी