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घास के फूल / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
घास में खिले हुए हैं
नन्हें कोमल टीम-टीम करते
लाल पीले बैंगनी
कई रंगों के फूल
घास हरी-भरी पूरी है ख़ुशी से
देख-देखकर
चिढ रहे हैं
नाटे मझोले लम्बे
फूल वाले सभी पेड़-पौधे
पीला हो रहा है कनेर
पलाश लाल
गुलाब भी प्रसन्न नही है
जबकि जानते हैं
छिले जाने ..रौंदे जाने काटे जाने
या जानवरों का आहार बनने की
घास के फूलों की नियति
जानते हैं
कवि और प्रेमियों के सिवा
देखता तक नहीं कोई इन्हें
लोगों की संभ्रांत पसंद में भी
शामिल नही हैं ये दलित फूल
देवताओं पर भी नही चदाये जाते
फिर भी इनके खिलने से
परेशान हैं
नाटे-मंझोले -लम्बे
फूल वाले सभी पेड़–पौधे.