घास के हर तिनके की
आँखें भर आती हैं देख मुझे
रोज सुबह टहलते उपवन में।
लेकिन ये फूल हैं कि
देख मुझे
मन ही मन रहते मुसकराते
और हँसते हैं।
ज्ञात नहीं ऐसा क्यों?
बहरहाल,
आँसू हर तिनके का
मोती है मेरे लिए,
माणिक है मेरे लिए।
और इन फूलों की
व्यंग भरी हँसी मुसकान भी
अपने लिए
मानता हूँ मंगलमय वरदान।
15.8.1962