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घिरा-घिना / नवीन सागर
Kavita Kosh से
बच्चे की घोर चिंता
उसे कोई मारे तो हॅंस दे टाल दे लड़ाई
पिटता ही चला जाए
हॅंस देने का यह जो तरीका है
और जो ये कवच है हॅंसी
ऐंठ रही है उसके नक्श में आखिरकार.
कहीं कुछ गिरा
धड़ से लगा वह गिरा
वह जाता दिखा कि आता
गिरा वह गिरा!
उसकी उंगली पकड़े
उसकी उंगली पकड़े मैं दुनिया में भीतर
बहुत भीतर पहुंच गया हूं
एक लड़ाई से घिरती जहां उसकी हॅंसी
जहां उसकी हॅंसी
लड़ा मैं भी नहीं
मैं तो उसे लाया हूं अनायास
गहरी रात में वह पूछता है
पूछ कर रह जाता है सवाल
मेरी नींद से घिरा बड़ा हो रहा है
वह खड़ा नहीं हो रहा है
हर तरफ गिरता हुआ.