भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घुग्घू रानी, कितना पानी / मधुसूदन साहा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घुग्घू रानी
कितना पानी
मत करना कोई नादानी।

खेल-खेल में अगर बिताया
तुमने अपना सारा बचपन,
सुखमय कभी न हो पायेगा
किसी तरह से भावी जीवन,
बड़े बुज़र्गों
के सपनों पर
फिर जायेगा बिल्कुल पानी।
जीवन को है महल बनाना
तो बचपन में नींव बना लो,
अर्जुन बनना हो आगे तो
पहले से गांडीव बना लो,

हर पल की है
कीमत जग में
करना नहीं कभी मनमानी।
होते चिकने पात हमेशा
जो बिरवा है अच्छा होता,
मिलता नहीं आम है उसको
पेड़ बबूलों का जो बोता,
अच्छे कर्मों
को करने से
हर पल हो जाता लासानी।