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घुटनों के बल निहार रहा हूँ धरती को / नाज़िम हिक़मत

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उजले नीले फूलों की मंजरी से लदी टहनी की ओर
मैं देख रहा हूँ।
तुम... मानो मृण्मयी वसन्त ऋतु,
मेरी प्रियतमा
और मैं तुम्हारी ओर देखता हुआ।

धरती पर पीठ टिकाकर मैं आकाश को देखता हूँ
जैसे कि तुम मधुमास हो, आकाश हो तुम ही
मैं तुम्हें देख रहा हूँ, प्रियतमा।

रात के अँधेरे में गाँव-देश में
मैंने सूखे पत्तों से आग जलाई थी
मैं छू रहा हूँ उसी आग को
तुम नक्षत्रों के नीचे जलते अग्निकुण्ड की तरह हो
मेरी प्रियतमा
मैं तुम्हें छू रहा हूँ।

इन्सानों में घुल-मिलकर ही बचना है मुझे
मेरा प्यार है इन्सानों के लिए ही
गति की तरंगों पर बहने को प्यार करता हूँ
प्यार करता हूँ सोचने को
अपने संग्राम को प्यार करता हूँ

और इसी संग्राम की आंतरिक सतहों में
मनुष्य के आसन पर आसीन हो तुम
मेरी प्रियतमा...

मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।


अंग्रेज़ी से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी