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घूँघट के पट खोल / राजकुमार
Kavita Kosh से
मन रे गूथैं हार, सरस-अनमोल आय तोंयै
हृदयकमल पर ‘राज’, पंख मत तोल आय तोंयँ
टेरै बंसी हमरोॅ कान्हा
नूपुर गोड़ रोॅ मारै ताना
सनन-सनन, झंझा-बतास में
घुँघरू के, मत खोल आय तोंयँ
मन रे, गूथैं हार, सरस-अनमोल आय तोंयँ
दृश्टि पलक प्रतिपल सरमाबै
संग सहेली नाचै-गाबै
छुई-मुई तन, विकल बावरी
लाजोॅ सें मत डोल आय तोंय
मन रे, गूथैं हार, सरस-अनमोल आय तोंयँ
पथिक प्राण चित चंचल डोलै
कोयल के सुर बंधन खोलै
चितचोरा मोहन के आगू
घूँघट के पट, खोल आय तोंयँ
मन रे, गूथैं हार, सरस-अनमोल आय तोंयँ