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घूंघट की धूम के सुझूम के जवाहिर के / पद्माकर

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घूंघट की धूम के सुझूम के जवाहिर के ,
झिलमिल झालर की भूमि लौं झुलत जात ।
कहैं पदमाकर सुधाकर मुखी के हीर ,
हारन मे तारन के तोम से तुलत जात ।
मंद मंद मैकल मतँग लौं चलेई भले,
भुजन समेत भुज भूसन डुलत जात ।
घांघरे झकोरन चहूंधा खोर खोरन मे ,
खूब खसबोई के खजाने से खुलत जात ।


पद्माकर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।