भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घूमे राम-लखन दुनू भइया / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घूमे राम-लखन दुनू भइया, नदी के तीरे-तीरे ना
किनका बिनु रे सून अयोध्या, किनका बिनु चौपाया
किनका ले, रे मोरा सून रसोइया, आब के भेजन बनाइ
राम बिनु मोरा सून अयोध्या, लछुमन बिनु चौपाया
सीता लए मोरा सून रसोइया, के देत भोजन बनाइ
नदी के तीरे-तीरे ना
कओन गाछ तर आसन वासन, कओन गाछ तर डेरा
कओन गाछ तर भीजैत हेता, राम-लखन दुनू भइया
नदी के तीरे-तीरे ना
चानन गाछ तर आसन वासन, चम्पा गाछ तर डेरा
अशोक गाछ तर भीजैत हेता, राम-लखन दुनू भइया
नदी के तीरे-तीरे ना