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घूमे है गलिओं कूचों में बेरोक ऐ हवा / नीना कुमार
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घूमे है गलिओं कूचों में बेरोक ऐ हवा
ज़रा उस दीवार-ओ-दर का भी हाल तो बता
जा फिर से पलट दे तू वो पन्ने किताब के
जहाँ जा ना पाऊँ मैं वहाँ जाने की कर खता
रचनाकाल: 14 अगस्त 2013