भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घृणा से बिल्कुल नहीं / केशव तिवारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घृणा से नहीं बिल्कुल नहीं
प्रेम करने की कोशिश में
मारा जाऊँगा

किसी हत्यारे, किसी भय से नहीं
शान्ति के आश्वासनों पर किए विश्वास
से मरूँगा

धूर्तों की धूर्तताओं से तो बच लूँगा पर
हे सन्तो ! आपके आप्त वचनों से
न बच पाऊँगा