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घेराबन्दी / मुहम्मद अल-मग़ूत / विनोद दास
Kavita Kosh से
आसमान को देखने से
मेरे आँसू नीले हो गए हैं
मैं काफ़ी देर रोता रहा
दानों की सुनहरी बालियों को देखने से
मेरे आँसू पीले हो गए हैं
मैं ज़ार-ज़ार रोया
जनरलों को जँग में जाने दो
प्रेमियों को जँगल में
वैज्ञानिकों को प्रयोगशाला में जाने दो
मैं गुलाब की एक बगिया और एक पुरानी कुर्सी का मुन्तज़िर हूँ
और वह आदमी मैं बन गया जैसा पहले हुआ करता था
दुःख की देहरी का रखवाल
चूँकि सभी आरामतलब लोग और धर्म
इस बात की ताक़ीद करेंगें कि मैं मरूँगा
भूखा या क़ैदख़ाने में
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास