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घोड़ारोग / सुतपा सेनगुप्ता

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जड़ी-बूटी के साथ यदि
फ़ार्मेसी के गुण मिला दें
तो कैसा हो
इसी मुद्दे पर बहस करते-करते
हम कुछ लोग
नदी किनारे टहल रहे थे,
खुली हवा हमारे शब्दों को उड़ाकर
थोड़ी दूर फेंक रही थी
एक माँझी लगातार आवाज़ लगाता जा रहा था
बाबू, नाव लगेगी?
हम बाबू और बीबियों ने
एकसाथ हँसते-हँसते कहा था
नहीं, नहीं .... हम लोग ख़ुद ही एक-एक नाव हैं
उसी दिन से
हमारे बहने की शुरुआत हो गई थी,
हमें अब हवा की ज़रू़रत नहीं पड़ती
हममें से कौन किधर जाएगा
इसका भी कोई ठिकाना नहीं,
हममें से कौन कब
रासायनिक या भेषज क्या खाता है
सब प्रबन्ध में लिख दिया जाता है
हमारे दल में शामिल
वह छोटा-सा बिल्ला
देखते-देखते जाने कब
एक बड़े-से बिल्ले में तब्दील हो गया
हालाँकि हम अब भी कहना चाहते हैं
मोमबत्ती के जन्म की कथा
घरों के बह जाने की कहानियाँ
हम पोंछ देना चाहते हैं,
प्याज और रोटी के साथ
रिश्ता बनाए रखना बेहद ज़रूरी है
यह दीवार पर लिखा हुआ चाहिए

एक दिन
नावें इकट्ठी कर रख दी जाएँगी
थाने की पासवाली गली में
और हम सब लोग
बचे रहने के लिए रिक्शे बन जाएँगे!

मूल बँगला से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी