भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घोड़े शांति के पाठ पढ़ाते हैं / मिथिलेश श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उनकी गति इंसानों को डराती नहीं
रेखाओं की कोख से जन्मे हुए घोड़े
रंगों की ओट में पले हुए घोड़े
हाथ के कमाल से सुगढ़ हुए घोड़े
घोड़े शांति के पाठ पढ़ाते हैं