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घोषणा / अजित कुमार

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मैंने किसे ध्यान में रखकर
ये कविताएँ लिखीं
--पूछते हैं सब ।
क्या
तू
बता
सकेगी ?
नहीं जानती ।
ले,
मैं
ही
घोषित
करता
हूँ ।
कुछ कविताओं में तो
तू है,
कुछ में तू,
जो शेष बचीं,
उनमें से प्राय:सबमें
तू है ।
अन्तिम एक रही जो,
उसमें ?
वह तो अभी अधूरी ही है,
पर उसमें
तेरी छाया
सबसे गहरी है
ओ, मेरे जीवन की एक अकेली, आदिम,
अन्तिम कविता ।