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चंचल जीवन स्रोत / सुमित्रानंदन पंत
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चंचल जीवन स्रोत
बहता व्याकुल वेग,
पुलिन-फेन-परिप्रोत
सुख दुख, हर्षोद्वेग!
ले बहु भाव तरंग
भंगुर बुद्बुद् गान
मिलता वारिधि संग
एक रूप हो, प्राण!