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चंचल शबनम सा यह जीवन / सुमित्रानंदन पंत

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चंचल शबनम सा यह जीवन,
गिरा न दे कल काल समीरण!
मत थम, निरुपम प्रणय सुरा भर,
हाला ज्वालामय हो अंतर!
क्षण क्षण यह मन नव तृष्णाकुल,
जग का मग काँटों से संकुल!
जीवन के क्षण मत खो, मूरख,
साधक, मादक मदिराऽमृत चख!