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चंदा की बिंदी / ज्योत्स्ना शर्मा

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चंदा की बिंदी
रजनी ने लगाई
सबको भाई ।
चुन-चुन सितारे
कितने सारे !
पवन ने सजाए
वेणी में गूँथीं
मोगरे ने कलियाँ
रात की रानी
सुरभि ले के आई
महक उठीं
नभ-गंगा ,गलियाँ
झूम-झूम के
तरुवर नाचते,
रजनी वधू तेरा
मन बाँचते
झींगुर झींम-झींम
बाँधे पायल ,
किये रात ने फिर
उमंगों भर
सारे साज-सिंगार ,
स्वयं रूप से
रूप ही गया हार
रूपसी वधू
मिलने हौले-हौले
पिया से चली
हो ज्यों नाज़ुक कली
नाजों से पली
पल गिन बिताए
अभिनंदन
उषा गले लगाए
दिन मुस्काए
मिलन बेला आई
तुरत ही विदाई !!