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चंदा मामा दूर के / जगदम्बा चोला
Kavita Kosh से
चंदा मामा दूर के, पुए पकाए बूर के,
आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में,
प्याली गई टूट, मुन्ना गया रूठ।
प्याली नई मंगाऊंगी, मुन्ना को खिलाऊंगी,
चंदा मामा आएंगे, साथ चांदनी लाएंगे,
मुन्ना पलना में झूलेगा, निंदिया अंखियों में झूमेगी,
साथ-साथ संग मुन्ना के,
बादल के संग-संग घूमेगी।
काठ का घोड़ा आएगा,
मुन्ना लड्डू खाएगा,
चंदा मामा दूर के,
पुए पकाए बूर के।
(इस लोरी की प्रारंभिक कुछ पंक्तियां पारंपरिक हैं। शेष पंक्तियां कवयित्री द्वारा विकसित की गई हैं।)