भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चंदा मामा / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चंदा मामा दौड़े आओ,
दूध कटोरा भर कर लाओ।
उसे प्यार से मुझे पिलाओ,
मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ।

मैं तैरा मृग-छौना लूँगा,
उसके साथ हँसूँ खेलूँगा।
उसकी उछल-कूद देखूँगा,
उसको चाटूँगा-चूमूँगा।