चंदा मामा / विश्वप्रकाश दीक्षित 'बटुक'
चंदा मामा, मैंने तुमको कितनी बार पुकारा,
लेकिन मेरी उस पुकार पर गया न ध्यान तुम्हारा!
मेरे मन में यह आता है, तुमको पास बुलाऊँ,
अपने जन्मदिवस पर मिलकर साथ तुम्हारे गाऊँ।
तुमने हलुआ, खीर-कचौरी पूरी खाई होंगी,
टॉफी-चाकलेट मैं तुमको आओ आज खिलाऊँ।
आइसक्रीम खिलाए बिन तो होगा नहीं गुजारा!
आओ अपनी मधुर चाँदनी आँगन में छिटकाओ,
तारों की बारात सजाकर मेरे घर तक लाओ।
देखो गुब्बारों की मैंने बंदनवार सजाई-
आओ छोड़ेंगे फुलझड़ियाँ, चकरी खूब चलाओ।
तुमको पाकर नाच उठेगा खुशियों से घर सारा!
मामा, तुमसे सीखूँगा मैं अच्छी-अच्छी बातें,
दिन भर गरमी नहीं लगेगी होंगी ठंडी रातें।
मामा, तुमको पाकर होंगी कितनी खुश माता जी,
नानी से कह दूँगा चरखा यहीं बैठकर काते।
तुम्हें देखकर आ जाएगा मेरे घर धु्रवतारा!