भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चंदोवा तना / रमेश तैलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पूनम की उजियारी खिली रे जुन्हाई,
सिर पर चंदोवा तना ।
हो जी, सिर पर चंदोवा तना ।

दूधो नहाए जी महले, दुमहले,
काले-कलूटे दिखे सब रुपहले,
जग-मग हुआ आँगना ।
हो जी, सिर पर चंदोवा तना ।

अम्माँ रसोई की करके सफ़ाई,
कोठे पे जा बैठी लेकर चटाई,
बानक ख़ुशी का बना ।
हो जी, सिर पर चंदोवा तना ।

भाग बड़े, खुला आकाश पाया,
माथे पर है पूरे चाँद का साया,
शीतल, सुखदायी घना ।
हो जी, सिर पर चंदोवा तना ।