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चंद्र की कला / गुलाब खंडेलवाल

चंद्र की कला
अरुण कमल-कोमल-तनु तरुणी नवला

अधर ज्यों प्रवाल ज्वाल, स्मिति की चपला
अलक-पुंज-तिमिर कुसुम कुञ्ज में पला

दीप-शिखा मुख सम्मुख रहा झलमला
भाल-बिंदु ज्यों पतंग अंग को जला

बाँह युगल गौर सरित-तटी निर्जला
पीन वक्ष, क्षीण-कटि मृणाल मेखला

चरण किरण-वसन-ज्योति में घुला-रला
ज्यों कपोत का जोड़ा जा रहा चला

चंद्र की कला