भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चंद की मरीची काम तोरि बिथराय दीनी / शिव नाथ
Kavita Kosh से
चंद की मरीची काम तोरि बिथराय दीनी ,
कैधौं हीरा फोरि कै कनूका धरि धरिगे ।
कैधौं काम मंदिर की झंझरी बनाई बिधि ,
कैधौं सोनजुही के पुहुप झरि झरिगे ।
कामिनी मनोरथ के आल बाल सिवनाथ ,
मैन के मतँग माते बेलि चरि चरिगे ।
अमल कपोलन पै दाग नहीं सीतला के ,
डीठि गड़ि गड़ि गई दाग परि परिगे ।
शिव नाथ का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।