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चकई के चकदुम / रमेश आज़ाद
Kavita Kosh से
चकई के चकदुम
चकदुम, चकदुम!
मकई के लावा
ले के आवा,
लावा फूटा
गोलू रूठा,
बाबा बोला
लुच्चा - झूठा!
भोलू बोला
बुम-बुम, बुम-बुम!
चकई के चकदुम
चकदुम, चकदुम!
लावा उड़ गया
खेत में,
लाला की पगड़ी
रेत में,
बढ़ गई दाढ़ी
जैसे झाड़ी!
बच्चे नाचें
घुम-घुम, घुम-घुम!
चकई के चकदुम
चकदुम, चकदुम!