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चढ़े ले परही / ध्रुव कुमार वर्मा
Kavita Kosh से
पढ़के ओला गढ़े ले परही
करम के घोड़ा चढ़ ले परही।
कहां बोचक बे धरके पागा
मूड़ में अपन मढ़े ले परही।
एक झन मनखे, कतको बैरी
सुन्ता होके लड़े लेे परही।
जबरा के आगू करके हिम्मत
छाती तान के खड़े ले परही।
जीभ लमाके बिजरइया ला
तान के थपरा जड़े ले परही।