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चढ़ गयौ तेल फुलेल छुटक रई पाँखुरियाँ / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चढ़ गयौ तेल फुलेल छुटक रई पाँखुरियाँ।
काये कौ तेल फुलेल काये कीं पाँखुरियाँ।
चम्पे कौ तेल फुलेल रूपे की पाखुरियाँ।
को ल्याऔ तेल फुलेल को ल्याऔ पाखुरियाँ।
तेलन ल्याई तेल फुलेल मालिन ल्याई पाखुरियाँ।
भौजी ने चढ़ाऔ तेल वीरन राय बैंहदुलियाँ।
चढ़ गयौ तेल फुलेल छुटक रईं पाखुरियाँ।