भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चन्दा मामा / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
Kavita Kosh से
चन्दा मामा दौड़े आओ,
दूध कटोरा भर कर लाओ ।
उसे प्यार से मुझे पिलाओ,
मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ ।
मैं तैरा मृग छौना लूँगा,
उसके साथ हँसूँ खेलूँगा ।
उसकी उछल कूद देखूँगा,
उसको चाटूँगा चूमूँगा ।