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चन्दा मामा / लक्ष्मी खन्ना सुमन
Kavita Kosh से
किसे देखकर चंदामामा
रहते हो मुस्काते
किसकी खातिर रूप अनोखा
रोज़ बदलकर आते
मैं ऊपर से देखूँ सुंदर
बच्चे भोले-भाले
मीठे बोल सुनूँ मैं उनके
देखूँ खेल निराले
बच्चों को कुछ और रिझाने
बादल में छुप जाऊँ
छुपन-छुपाई खेलूँ उनसे
मन सबका हर्षाऊँ
पतला, मोटा, गोल बना मैं
धावल दूध बरसाता
देख मुझे मुस्काते बच्चे
तो मैं भी मुस्काता