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चन्दू के चश्मे से / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
चन्दू के चश्मे से
बड़े नज़ारे दिखते हैं !
एक दिन चढ़ा लिया आँखों पर
हमने उसका चश्मा,
आठ बरस के दिखे बापू
चार बरस की अम्मा।
बूढ़े-बड़े सभी छोटे-से
प्यारे दिखते हैं !
उस चश्मे को पहना तो
ताऊ जी ग़ुस्सा भूले,
ठंडी आइसक्रीम बन गये
जो थे आग-बबूले।
अकड़ू-अकड़ू सब उसमें
बेचारे दिखते हैं !
पता नहीं किस जादूगर से
चन्दू चश्मा लाया ?
मनहूसों की सूरत बदली
इतना रोज़ हँसाया।
धूप रात में दिखती
दिन में तारे दिखते हैं !
चन्दू के चश्मे से
बड़े नज़ारे दिखते हैं !