चन्द्रशेखर आजाद नै अपणी जिन्दगी / रणवीर सिंह दहिया
वहां शहर में चन्द्रशेखर सहज सहज क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आ जाता है। सुखदेव, राजगुरु, शिव वर्मा, भगतसिंह के साथ उसका तालमेल बनता है। वह आजादी की लड़ाई का एक बहादुर सिपाही का सपना देखने लगता है। वह अपनी जिन्दगी दांव पर लगाने की ठान लेता है। क्या बताया फिर-
तर्ज: चौकलिया
चन्द्रशेखर आजाद नै अपणी जिन्दगी दा पै लादी रै॥
फिरंगी गेल्या लड़ी लड़ाई उनकी जमा भ्यां बुलादी रै॥
फिरंगी राज करैं देश पै घणा जुलम कमावैं थे
म्हारे देश का माल कच्चा अपणे देश ले ज्यावैं थे
पक्का माल बना कै उड़ै उल्टा इस देश मैं ल्यावैं थे
कच्चा सस्ता पक्का म्हंगा हमनै लूट लूट कै खावैं थे
भारत की फिरंगी लूट नै आजाद की नींद उड़ादी रै॥
किसानां पै फिरंगी नै बहोत घणे जुलम ढाये थे
खेती उजाड़ दई सूखे नै फेर बी लगान बढ़ाये थे
जो लगान ना दे पाये उनके घर कुड़क कराये थे
किसानी जमा मार दई नये नये कानून बनाये थे
क्रान्तिकारियां नै मिलकै नौजवान सभा बना दी रै॥
जात पात का जहर देश मैं इसका फायदा ठाया था
आपस मैं लोग लड़ाये राज्यां का साथ निभाया था
व्हाइट कालर आली शिक्षा मैकाले लेकै आया था
साइमन कमीशन गो बैक नारा चारों कान्हीं छाया था
म्हारी पुलिस फिरंगी नै म्हारी जनता पै चढ़ा दी रै॥
जलियां आला बाग कान्ड पापी डायर नै करवाया था
गोली चलवा मासूमां उपर आतंक खूब फैलाया था
मनमानी करी फिरंगी नै अपना राज जमाया था
जुल्म के खिलाफ आजाद नै अपना जीवन लाया था
रणबीर नै तहे दिल तै अपणी कलम चलादी रै॥