Last modified on 27 नवम्बर 2015, at 05:11

चमका ले तलवार नहीं झुकने वाला हूँ / जनार्दन राय

चले तुम्हारा चक्र नहीं रुकने वाला हूँ,
चमका ले तलवार नहीं झुकने वाला हूँ।

भूले हो उस दिन को जब थे पास बुलाये,
भूले हो उस क्षण को जिस दिन दुःख भुलाये।
आयी लाज न तनिक जो तुमने मुझे रुलाये,
वर्षाओं अंगार नहीं जलने वाला हूँ
चमका ले तलवार नहीं झुकने वाला हूँ।

”मानव मानव को खाता है“ -सत्य यही है,
”दुष्ट हमेशा दुष्ट रहा है“ -सत्य यही है।
”पापी करता पाप हमेशा“ -सत्य यही है।
कर ले पापाचार नहीं मिटने वाला हूँ।
चमका ले तलवार नहीं झुकने वाला हूँ।

आया जिस दिन द्वार बड़ा सम्मान किया था,
सत्य रूप को छिपा पूर्ण अरमान किया था।
झोंक रहे हो धूल-नहीं अनुमान किया था,
दे दो जी भर गरल नहीं मरने वाला हूँ।
चमका ले तलवार नहीं झुकने वाला हूँ।

बदलो अपनी नीति नहीं भूखा-नंगा हूँ,
जो भी समझो, कहो, मगर मन से चंगा हूँ।
बदलो अपना ढंग नहीं मैं बेढंगा हूँ,
कर जी-भर उत्पात नहीं टलने वाला हूँ।
चमका ले तलवार नहीं झुकने वाला हूँ।

दुख है कैसे औरों को अपना पाऊंगा,
तेरे कारण सुन्दर को न समझ पाऊंगा।
तुम जैसा ही औरों को भी समझ पाऊंगा,
होगा कितना पाप-नहीं बुझने वाला हूँ।
चमका ले तलवार नहीं झुकने वाला हूँ।

बनो खूब खूँखार नहीं मैं डर जाऊंगा,
कर लो अत्याचार नहीं मैं मर जाऊंगा।
दोगे जितने दुःख सभी मैं सह जाऊंगा,
करो जुल्म पर जुल्म नहीं टलने वाला हूँ।
चमका ले तलवार नहीं झुकने वाला हूँ।

-दिघवारा,
27.4.1965 ई.