चमक तेरी अयाँ बिजली में आतिश में शरारे में / इक़बाल
चमक तेरी अयाँ <ref> प्रकट होना </ref>बिजली में आतिश<ref> आग</ref>में शरारे<ref> चिंगारी </ref>में
झलक तेरी हवेदा<ref>झलकना </ref>चाँद में सूरज में तारे में
बुलन्दी आसमानों में ज़मीनों में तेरी पस्ती<ref> गहराई</ref>
रवानी बह्र <ref>लहरों </ref>में उफ़्तादगी<ref> स्थिरता</ref>तेरी किनारों में
जो है बेदार<ref>जागृत अवस्था में </ref>इन्साँ में वो गहरी नींद सोता है
शजर में फूल में हैवान में पत्थर में तारे में
मुझे फूँका है सोज़े-क़तरा-ए-अश्क-ए-महब्बत <ref>प्रेम के आँसू की जलती हुई बूंद </ref>ने
ग़ज़ब की आग थी पानी के छोटे-से शरारे<ref>चिंगारी </ref>में
नहीं जिन्से-सवाबे-आख़रत<ref> मोक्ष</ref>की आरज़ू मुझको
वो सौदागर हूँ मैंने नफ़्आ<ref>लाभ </ref>देखा है ख़सारे<ref> हानि</ref>में
सकूँ ना-आश्ना<ref> चैन से अपरिचित</ref>रहना इसे सामाने-हस्ती है
तड़प इस दिल की यारब छिप के आ बैठी है पारे में
सदा-ए-लनतरानी<ref> </ref>सुन के ऐ इक़बाल मैं चुप हूँ
तक़ाज़ों की कहाँ ताक़त है मुझ फ़ुरक़त <ref>विछोह</ref>के मारे में