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चमक पड़ी चोली / राजकिशोर सिंह
Kavita Kosh से
पफगुनाहट के हिलोरे में
हट गयी चुनरी
दिऽ गयी चोली
समझो आ गयी होली
पेड़ोें की टहनी पर
छिप गयी कोयल
सुन पड़ी बोली
समझो आ गयी होली
सड़कों के चौराहे पर
जम गये लड़के
बन गयी टोली
समझो आ गयी होली
घरों के कोने से
महक पड़े पुए
चमक पड़े रंगों की झोली
समझो आ गयी होली
दलानों के झरोऽे में
चढ़ गयी भंग
बनने लगे उसकी गोली
समझो आ गयी होली।