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चमचा / राजकिशोर सिंह
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मैं चमचा, तू चमचा
हर कोई है यहाँ चमचा
बच सकेगा शायद कोई
बनता जो न किसी का चमचा
सिनेमा से जब पेट न भरता
बनता हीरो ब्रांड का चमचा
समय ऽेल से जब बचता है
ऽिलाड़ी बनता सामान का चमचा
जनता का तो हाल बुरा है
वह बनता नेता का चमचा
मत पूछो नेता की यारो
चमचों के सरदार का चमचा
शिक्षक भी पीछे न हैं इससे
वह भी बनते छात्रा का चमचा
छात्रा बेचारे क्या सोचेंगे
वे भी भटकाने वालों के चमचा
किस पर करोगे तुम भरोसा
पत्राकार के रत्तफ में चमचा
दुनिया देऽो पीछे मुड़कर
शकुनी चमचा कैकेयी चमचा
लेकिन देऽो राम कृष्ण को
क्या उनमें है एक भी चमचा।