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चरैवेति / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
संघर्षों-संग्रामों से
- जीवन की निर्मिति,
होना निष्क्रिय
ज्ञापक - आसन्न मरण का,
थमना — जीवन की परिणति।
- जीवन: केवल गति,
- अविरति गति !
क्रमशः विकसित होना,
होना परिवर्तित
- जीवन का धारण है !
स्थिरता
प्राण-विहीनों का
- स्थापित लक्षण है !
जीवन में कम्पन है, स्पन्दन है,
जीवन्त उरों में अविरल धड़कन है !
रुकना
अस्तित्व - विनाशक
अशुभ मृत्यु को आमंत्रण,
चलते रहना ... चलते रहना !
एक मात्र मूल-मंत्र
साधक जीवन !