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चर्च में ग़रीब-गुरबे / आर्थर रैम्बो / मदन पाल सिंह

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गिरजाघर के कोने में, बलूत की बैंचों की कतारों के बीच
खचाखच-भरे भक्तों की भीड़
जिससे फैल रहे हैं उनकी घृणित बदबूदार श्वासों के भभके,
और टिकी हैं सारी ऑंखें, सुनहरी वेदी तथा कर्कश स्वर में गाते हुए – यन्त्रवत्
धार्मिक भजन मण्डली के बीस सदस्यों पर ।

सूँघते हुए मोम की गन्ध, जैसे हो यह रोटी की सोंधी महक
ये मुदित और दब्बू – अपमानित, जैसे हों कान ढलकाए हुए पिटे कुकुर,
ये बेचारे ग़रीब, तारणहार ईसा को समर्पित, इनके पिता और स्वामी
आह्वान कर रहे हैं भक्तों का, प्रार्थना में भाग लेने के लिए
अपनी बेहूदी, हास्यजनक, हठपूर्ण प्रार्थना की लम्बी तान खींचते हुए ।

घर-गृहस्थी के काम-धाम में डूबी, छह दिन के प्रभु-प्रदत्त कष्ट के बाद
औरतों के लिए सुखद है चिकनी बैंचों पर बैठकर लुत्फ़ उठाना,
वे झबला हुए अजीब लम्बे फर के लबादे में लिपटाए हुए
अपने बेहताशा रोते बच्चों को
हिला-झुला रही हैं चुप कराने के लिए
ऐसे बच्चे, जिनका विलाप प्रलय तक भी नहीं रुकता।

उनके मलिन कमज़ोर स्तन लटक रहे हैं बाहर
ये सूप पीकर ज़िन्दा रहने वाली औरतें
इनकी आँखों में है प्रार्थना की दीनता, पर अन्तरात्मा में प्रार्थना का कोई चिह्न नहीं.
दिखता है किशोरियों का झुण्ड अल्हड़ता से चलक़दमी करता हुआ
जो लिए हैं अपनी पिचकी टोपियॉं ।

बाहर है शीत और भूख का साम्राज्य, मद्यपान में धुत आदमी :
'ठीक है, एक घण्टा बचा है, उसके बाद फिर वही मुसीबत.'
इस दौरान झुर्रियों से भरे गले वाली बुढ़ियाओं के झुण्ड का प्रमाद,
नकियाना, खरखराना, आस-पड़ोस की शिकायत और कानाफूसी:

'ये अजीब डरे लोग और वे मिर्गी के मरीज़
कल चौराहे पर जिन्हें हमने अनदेखा कर दिया था
और प्राचीन प्रार्थना-पुस्तकों में नाक गड़ाए ये अन्धे,
जिन्हें एक कुत्ते ने सड़क पार कराकर सुरक्षित
बरामदों तक पहुँचाया था ।'

और सब करते हुए अपनी दरिद्र मूढ़ भक्ति का विश्वास-गान
यीशु से करते हैं, कभी ख़त्म न होने वाली शिकायतें ।
गिरजाघर में लगे बदरंग और पुराने चित्रों वाले शीशे से आने वाले प्रकाश के नीचे
यीशु, जो दिखता है पीतवर्ण और ऊपर है स्वप्नमग्न,
घृणित कृशकाय और तोंदल दुष्ट-फरेबियों से दूर ।

वह है मांस और फफून्दी लगे कपड़ों की गन्ध से दूर
वह दूर है घृणित हाव-भाव वाले बेहूदे धार्मिक स्वाँग से
वह विरत है भजन कीर्तन, चुने हुए स्तुति गान और चोंचलों से
और अलग है उतावलापन लिए हुए एक अड़ियल रहस्यवाद से भी ।

जब गिरजे के मध्य भाग से छॅंटने लगती है धूप
तो आती हैं सदाबहार झूठी मुस्कान लिए, साधारण रेशमी वस्त्रों की तहों से आवृत
खाते-पीते, समृद्ध, कुलीन वर्ग की स्त्रियॉं : हे यीशु ! ये हैं जिगर रोग से पीड़ित !!
और ये फिराती हैं अपनी पीली अंगुलियॉं, पवित्र जलपात्र में
आशीर्वाद के लिए ।

मूल फ़्रांसीसी भाषा से अनुवाद : मदन पाल सिंह