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चलता है इस तरह (1) / हरीश बी० शर्मा


कुंडली-मिलान के बाद
जब घर वाले
दे देते हैं छूट
साथ-साथ फिल्म देखने की
मैं
उस अच्छे वाले सीन में
चाहता हूं गलबहियां डालना
हर्ज नहीं कोई
वह हाथ सहलाते हुए पूछती है
बाय-द-वे आपकी सैलरी
आयमीन तनख्वाह कितनी है
पर्दे पर गाना शुरू हो जाता है।