जीवन फिर चलता रहता है
प्रेम फिर भी पलता रहता है
मेरी तनख्वाह
उसका घर
पट्टा गले में पड़ा क्या दुख देता है
ज्यादा बात बढ़े तो
बच्चों के बहाने बतिया लेते हैं
बरस बीत जाते हैं।
जीवन फिर चलता रहता है
प्रेम फिर भी पलता रहता है
मेरी तनख्वाह
उसका घर
पट्टा गले में पड़ा क्या दुख देता है
ज्यादा बात बढ़े तो
बच्चों के बहाने बतिया लेते हैं
बरस बीत जाते हैं।