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चलली हे दादी, अन फुलबरिया / अंगिका लोकगीत

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बेटी अपनी दादी और अम्मा के साथ फुलवारी जाती है, जहाँ उसे दुलहे से भेंट होती है। दुलहा पूछता है- ‘रात में तुम यहाँ अकेली क्यों खड़ी हो?’ बेटी उत्तर देती है- ‘मेरी दादी तथा अम्मा असली जोगिन हैं, वे रात में जोग करती हैं।’ रात में अकेली कुमारी लड़की का अपने सतीत्व के रक्षार्थ दुलहे को डराने के लिए इस वाक्य का प्रयोग हुआ है। साथ ही, तांत्रिक युग की प्रतिच्छाया भी इस गीत में प्रकट हुई है।

चलली हे दादी, अन फुलबरिया।
सँग लेल दुलारी बेटी, राजली<ref>राजसी</ref> टोनमा॥1॥
घोड़िया चढ़ल आबै<ref>आता है</ref>, राजा छतरी<ref>क्षत्रिय</ref> के बेटबा।
काहे धनि ठाढ़ि<ref>खड़ी</ref> अकेली, राजली टोनमा॥2॥
हमरी जे दादी, असले<ref>असली</ref> जोगिनियाँ।
जोग करै<ref>करती हैं</ref> निसि राति, राजली टोनमा॥3॥
चलली हे अम्माँ, अपन फुलबरिया।
लेल<ref>लिया</ref> दुलारी बेटी साथ, राजली टोनमा॥4॥
घोड़िया चढ़ल आबै, राजाजी के बेटबा।
काहे धनि ठाढ़ी अकेली, राजली टोनमा॥5॥
हमरी जे अम्माँ असले जोगिनियाँ।
जोग करे निसि राति, राजली टोनमा॥6॥

शब्दार्थ
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