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चला आ श्याम महफ़िल में / रंजना वर्मा

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चला आ श्याम महफ़िल में
बसा लें हम तुझे दिल में

पुलिंदा द्वेष का होगा
भरा जनता के क़ातिल में

हमारा मन बसा कान्हा
तेरे इस गाल के तिल में

लिये नवनीत भावों का
चले आये हैं' मंजिल में

भरा जो वैर के विष से
न कुछ पायेगा हासिल में

इशारा हो अगर तेरा
लहर ले जाये' साहिल में

समझ पायें तेरी महिमा
न इतनी बुध्दि जाहिल में