Last modified on 12 मार्च 2019, at 10:03

चला आ साँवरे मोहन तुझे मधुबन बुलाता है / रंजना वर्मा

चला आ साँवरे मोहन तुझे मधुबन बुलाता है।
बसा कर रूप नैनों में तुझे यह मन बुलाता है॥

श्रवण में बाँसुरी के स्वर मधुरतर गूँजते रहते
लुभा लेता जो प्राणों को वही गुंजन बुलाता है॥

अनोखा रूप बनवारी दृगों के बीच है अटका
चुराकर श्यामता तेरी नयन अंजन बुलाता है॥

अभी भी गूँज जाती हैं मधुर किलकारियाँ तेरी
यशोदा के दुलारे आ तुझे आँगन बुलाता है॥

घटाएँ आज भी गिरधर मचलती हैं बरसने को
घड़ी भर को इधर आ जा तुझे सावन बुलाता है॥

बड़ी बेदर्द है दुनियाँ सहज जीने नहीं देती
सिखा जा साँवरे जीना तुझे जीवन बुलाता है॥

तुझे देखूँ निकट अपने यही अधिकार है मेरा
बंधा जो भक्त भगवन में वही बंधन बुलाता है॥