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चला जो गया हमको नाशाद कर के / रंजना वर्मा
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चला जो गया हमको नाशाद कर के
जिये जा रहे हम उसे याद कर के
हुई जिंदगी हर मसर्रत से खाली
मिला क्या तुझे मुझको बर्बाद कर के
यहाँ कोई सुनता नहीं है किसी की
हमे कुछ मिलेगा न फ़रियाद कर के
बहुत खुश रहे सामने रह के तेरे
न आता मज़ा कुछ तेरे बाद कर के
जमाना था वो और जब सब सगे थे
न अब कोई खुश होता इमदाद कर के
बहुत मस्त बुलबुल था अपने जुनूँ में
चला आया है कोई सैयाद कर के
मिटाने लगा आदमी खुद की हस्ती
नये कुछ शग़ल रोज़ ईजाद कर के