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चलेगी दुनिया की गाड़ी उसी तरह / हेमन्त शेष

Kavita Kosh से
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चलेगी दुनिया की गाड़ी उसी तरह
सवेरे-सवेरे निकलेगा सूरज
पड़े होंगे अँगीठियों में कोयले
अर्थियाँ गुज़रेंगी सड़क से
दाइयाँ होंगी प्रसव करवा कर
नए साबुनों से हाथ धोतीं और
दुनिया की गाड़ी को हरी झंडी दिखातीं