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चले आओ तुम्हारे बिन गुजरती ही नहीं रातें / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
चले आओ तुम्हारे बिन गुजरती ही नहीं रातें।
जगाती रात भर हमको तुम्हारे प्यार की बातें।।
बड़ी खामोश हैं सुबहें हुई वीरान सी शामें
लिये तेजाब की बूंदे चली आती है बरसातें।।
दुआएं कीं कभी भी साथ यह अपना नहीं छूटे
असंभव है दुआ समझी नहीं संसार की बातें।।
अधूरा चाँद है निकला अधूरे ख्वाब है सारे
तमन्नाएं अधूरी हैं अधूरी सारी सौगातें।।
तुम्हारे साथ ने हम को बताया जिंदगी क्या है
विचरतीं याद बन मन में जो कीं हमने मुलाकातें।।
तुम्हारे बिन हमें चुप बैठ रहना अब सुहाता है
हैं शायद चुक गयीं अब जो सुनी थी यार की बातें।।
ना अब बादल गरजते हैं न ही बूँदें बरसती हैं
न है बिजली कड़कती कर रही अब क्रोध में घातें।।